लॉक डाउन की परिस्तिथि गरीब लोगो को भुखमरी की ओर धकेल रही है

ये जो लॉक डाउन की परिस्तिथी है इसमें तो ऐसा लगता है की कोरोना से लोग कम मरेंगे लेकिन भुखमरी से ज्यादा मरेंगे।
           अभी अभी कुछ चार  महीने पहले एक खतरनाक बीमारी कोरोना ने चीन में जन्म लिया और चीन की बेवकूफी की वजह से पूरी दुनिया में फ़ैल गया, हम सभी लोग रोज देख रहे है कैसे बीमारों और मृतकों की संख्या लगातार बढ़ोत्तरी हो रही है. ये संख्या जाने कब रुकेगा पता नहीं।
            इस बीमारी को फ़ैलने से रोकने के लिए भारत सरकार ने बहोत ही मजबूत फैसला लेकर पुरे भारत को २१ दिन के लिए लॉक डाउन कर दिया है. क्योंकि इसके आलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं था।
        अभी केवल ५ दिन ही बीते है।  नयी नई खबरे आनी सुरु हो गई है।  मेरी सोसायटी के एक लोग ने बताया उसके पास १० दिन का रासन था, अगले ५ दिन बाद क्या होगा मालूम नहीं, कुछ कैश  था वो राशन और जरुरत की चीजों में खत्म गया, अब न तो कॅश है और न ही राशन बचा है.
         आज एक मित्र ने बताया उसका एक मित्र जो धानुबाग में रहता है उसके पास न तो राशन है और नहीं गॅस सिलेंडर, पिछले ४ दिन से लकड़ी बिन कर चूल्हा जलाकर खाना बना रहा था, लेकिन अब तो राशन भी ख़तम हो गया है, मित्र की परेशानी जानकर मेरे मित्र ने अपना गॅस  सिलेंडर और कुछ रुपयों की मदत की।
          ये तो केवल मुझे जानने वाले ही है। ऐसे न जाने कितने लोग होंगे जिनकी खबर भी नहीं होगी।
इस परिस्तिथी  में कुछ लोग मानवता दिखाकर खाना बाट रहे है।  वे लोग भी केवल एक दो दिन तक ही खाना दे पाएंगे।
           इस परिस्तिथी में भुखमरी बढ़ेगी।  जो लोग रोज कमा कर खाते है उनके पास ना तो कमाई है न ही खाना।
           जब देश में वोटिंग होते है तो हर नेता हर दरवाजे पे वोट मांगने के लिए जाता है।  लेकिन इस विकट परिस्तिथि में हालचाल  भी नहीं ले रहा है।  नेता सोच रहे होंगे की हम जित गए है अब फिर इलेक्शन में जायेंगे।
सरकार ने घोषणा कर दिया की सभी को ५-५ किलो चावल और गेहू ३ महीने तक मुफ्त दिया जायेगा।  ये राशन तो केवल राशनकार्ड धारक को ही दिया जायेगा। लेकिन ऐसे कई परिवार है जिनके पास राशन कार्ड नहीं है और कई तो रोजी रोटी के लिए दूसरे राज्यों मे  है। वे क्या करेंगे ?
             इस विकत परिस्तिथि में जनप्रतिनिधियों को लोगों की मदत के लिए आगे आना चाहिए, और घर-घर जाकर जरूरतमंद की मदत करनी चाहिए। लेकिन वे तो केवल चमचों  की सुनेंगे दो चार लोगो को एक दो किलो राशन देकर फोटो खिचायेंगे और वाहवाही लेंगे।
            प्रसाशन से कोई उम्मीद नहीं है, उनके पास लोगों की कमी है।
            यदि लॉक डाउन २१ दिन से आगे बढ़ता है तो देश से गरीबी के साथ साथ गरब भी ख़त्म हो जायेगा।
 देखते है। 

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