हाथी चले अपनी चाल- कुत्ते भोंके एक हजार .....
आज की दुनिया ऐसी ही है अगर कोई देश का या किसी का भी भला करता है तो लोग उसकी ही बँड बजाते है। इस देश में भलाई करना ही एक जुमर्म है। नोटबंदी के बाद लोगों के पास पैसे या छोटे नोट नही है ऐसा हो ही नही सकता, लोंगो के पास छोटे नोट है लेकीन उसे वे खर्च नही करना चाहते है केवल चाहते हैं की बड़ी नोट बदल जाये।
कोई भी दुकानदार किसी हद तक ही बड़ी नोट का छुट्टा दे सकता है। अगर उसके पास छोटे नोट आयेंगे नही तो वो देगा कहाँ से, जिसके पास है वो देना नही चाहता- जिसके पास नही है उसे मिलता नही है।
कुछ लोगों ने तो 4000 के नोट बदली रोज लाईन लगा कर करवाये।
एक गरीब ने मुझे बताया की मुझे रोज लाईन में खड़े रहकर नोट बदलने के 500 रुपये मिलते है। क्योंकी जीनके पास लाईन लगाने के लिये समय नही है। वे लोग सुबह 4 बजे काम पर निकल जाते है तो फिर शाम कोही घर पे आते है। ऐसे बहुत से किस्से है।
नोट बदलवाना समस्या नही है, समस्या है की ये तुरंत नही हो रहा है, सबको समाधान तुरंत चाहीये।
मेरा कहना है की यदी आपको कालेधन और भ्रष्टाचार से छुटकारा चाहीये तो अमेरिकन सरकार की तरह हर 7 साल में नोट की एक्सपारी डेट हो, फिर किसी की मजाल है की नोट की जमाखोरी कर सके।
सबसे ज्यादा तकलीफ तो उन धनकुबेरों को है जिन्हों ने भ्रष्टाचार करके बड़े नोटों का गोडाउन भर के रखा है। बाकी रहे गरीब और सामान्य लोग, गरीब लोगों का पुरा व्यवहार कॅश मे होता है तो उनके पास ज्यादा से ज्यादा 5 हजार से 2 लाख रुपये हो सकते है।
मिडलक्लास के पास ज्यादा से ज्यादा 50 हजार से 5 लाख तक कॅश हो सकता है।
इन दोनो वर्गो को घबराने की जरुरत नही है
सरकार के द्वारा कालेधन और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की एक कोसिश मात्र है। इससे ज्यादा कुछ धनकुबेरों को फर्क नही पड़ने वाला। केवल गरीब और सामान्य वर्ग तकलिफ झेलेगा।
एक गरीब का बच्चा इसलिए मर जाता है क्यों की कोई भी लोकल डाॅक्टर 500 या 1000 रु. के नोट नही लेता है वो गरीब अपने गहने भी देने को तैयारथी लेकीन डाॅक्टर लेने को तैयार नही हुआ। नतीजा बच्चा मर गया।
सरकार को ऐसे डाॅक्टरों परभी ध्यान देने की जरुरत है।
किसी के घर में शादी है किसी को राशन खरीदना है लेकीन वे कुछ नही कर सकते है, वे चेक देकर अपना काम चला सकते है लेकीन वे व्यापारी चेक लेने को भी तैयार नही है।
सरकार को ऐसे चेक न लेने वाले व्यापारीयों पर भी ध्यान देने की जरुरत है।
धनकुबेरों के नोट तो बदले जा रहे है। और वो ......... के दवारा, सरकार को इनपर नजर रखनी चाहिये।
आज की दुनिया ऐसी ही है अगर कोई देश का या किसी का भी भला करता है तो लोग उसकी ही बँड बजाते है। इस देश में भलाई करना ही एक जुमर्म है। नोटबंदी के बाद लोगों के पास पैसे या छोटे नोट नही है ऐसा हो ही नही सकता, लोंगो के पास छोटे नोट है लेकीन उसे वे खर्च नही करना चाहते है केवल चाहते हैं की बड़ी नोट बदल जाये।
कोई भी दुकानदार किसी हद तक ही बड़ी नोट का छुट्टा दे सकता है। अगर उसके पास छोटे नोट आयेंगे नही तो वो देगा कहाँ से, जिसके पास है वो देना नही चाहता- जिसके पास नही है उसे मिलता नही है।
कुछ लोगों ने तो 4000 के नोट बदली रोज लाईन लगा कर करवाये।
एक गरीब ने मुझे बताया की मुझे रोज लाईन में खड़े रहकर नोट बदलने के 500 रुपये मिलते है। क्योंकी जीनके पास लाईन लगाने के लिये समय नही है। वे लोग सुबह 4 बजे काम पर निकल जाते है तो फिर शाम कोही घर पे आते है। ऐसे बहुत से किस्से है।
नोट बदलवाना समस्या नही है, समस्या है की ये तुरंत नही हो रहा है, सबको समाधान तुरंत चाहीये।
मेरा कहना है की यदी आपको कालेधन और भ्रष्टाचार से छुटकारा चाहीये तो अमेरिकन सरकार की तरह हर 7 साल में नोट की एक्सपारी डेट हो, फिर किसी की मजाल है की नोट की जमाखोरी कर सके।
सबसे ज्यादा तकलीफ तो उन धनकुबेरों को है जिन्हों ने भ्रष्टाचार करके बड़े नोटों का गोडाउन भर के रखा है। बाकी रहे गरीब और सामान्य लोग, गरीब लोगों का पुरा व्यवहार कॅश मे होता है तो उनके पास ज्यादा से ज्यादा 5 हजार से 2 लाख रुपये हो सकते है।
मिडलक्लास के पास ज्यादा से ज्यादा 50 हजार से 5 लाख तक कॅश हो सकता है।
इन दोनो वर्गो को घबराने की जरुरत नही है
सरकार के द्वारा कालेधन और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने की एक कोसिश मात्र है। इससे ज्यादा कुछ धनकुबेरों को फर्क नही पड़ने वाला। केवल गरीब और सामान्य वर्ग तकलिफ झेलेगा।
एक गरीब का बच्चा इसलिए मर जाता है क्यों की कोई भी लोकल डाॅक्टर 500 या 1000 रु. के नोट नही लेता है वो गरीब अपने गहने भी देने को तैयारथी लेकीन डाॅक्टर लेने को तैयार नही हुआ। नतीजा बच्चा मर गया।
सरकार को ऐसे डाॅक्टरों परभी ध्यान देने की जरुरत है।
किसी के घर में शादी है किसी को राशन खरीदना है लेकीन वे कुछ नही कर सकते है, वे चेक देकर अपना काम चला सकते है लेकीन वे व्यापारी चेक लेने को भी तैयार नही है।
सरकार को ऐसे चेक न लेने वाले व्यापारीयों पर भी ध्यान देने की जरुरत है।
धनकुबेरों के नोट तो बदले जा रहे है। और वो ......... के दवारा, सरकार को इनपर नजर रखनी चाहिये।

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