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हिन्दू धर्म
हिन्दू धर्म एक ऐसा धर्म है जिससे जुड़े चिह्नों, कथाओं, स्थानों आदि को अपने अनुसार वर्णित कर लिया जाता है। आप खुद यह बात जानते होंगे कि जितने प्रक्षिप्तांश हिन्दू धर्म ग्रंथों के साथ जुड़ते हैं उतने किसी अन्य धर्म के साथ संभव ही नहीं है।
सहनशील धर्म
बहुत से लोग इस बात का विरोध कर सकते हैं लेकिन सत्य यही है कि हिन्दू धर्म सहनशील धर्म है, जो प्रक्षिप्तांशों का विरोध भी नहीं करता और सहर्ष इन्हें स्वीकार भी लेता है।
वाल्मिकी कृत रामायण
वाल्मिकी द्वारा कृत रामायण मौलिक ग्रंथ है इसके बाद विभिन्न देशों, राज्यों और भाषाओं के लोगों ने अपने-अपने अनुसार रामायण लिखी, जिसमें अपने-अपने अनुसार फेरबदल भी किए। लेकिन फिर भी इन्हें शोध का विषय बनाकर स्वीकार कर लिया गया।
शिव
शिवलिंग, यह भी एक ऐसा ही प्रतीक या फिर विषय है जो हमेशा से ही विवादास्पद रहा है। शिवलिंग को शिव का ही रूप मानकर पूजा जाता है। लेकिन विवाद का विषय यह है कि इसे शिव का “लिंग” मानकर पूजा जाता है।
संस्कृत
जबकि यह मात्र विषय की समझ ना होने जैसे हालातों को ही दर्शाता है। अन्य धर्मों के लोग कहते हैं कि हिन्दू भगवान शिव के लिंग की पूजा करते हैं और यह संस्कृत की समझ ना होने का परिचायक भर है।
प्रतीक
पुरुषों के लिए “पुलिंग” और नपुंसक के लिए “नपुंसक लिंग” का प्रयोग किया जाता है।

लिंग की संज्ञा
निराकार का प्रतीक
ठीक उसी तरह शिव के लिए “शिवलिंग” का प्रयोग किया गया है, ऐसा इसलिए क्योंकि कि शिव किसी स्त्री या पुरुष का प्रतीक ना होकर, संपूर्ण ब्रह्मांड, आकाश, शून्य, निराकार का प्रतीक हैं। उन्हें किसी एक श्रेणी में बांधकर नहीं रखा जा सकता, क्योंकि वे स्वयं एक श्रेणी हैं, एक प्रतीक हैं।
स्कंदपुराण
स्कंदपुराण के अनुसार आकाश स्वयं एक लिंग है और शिवलिंग समस्त ब्रह्मांड की धुरी है। शिवलिंग अनंत है, इसकी ना तो शुरुआत है और ना ही अंत।
विषय की समझ
लेकिन विषय की समझ ना होने के कारण लोगों ने भ्रामक तथ्य, जिसके अनुसार शिवलिंग, शिव का जननांग है, पर विश्वास कर लिया। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि प्राचीन धर्मिक ग्रंथों को नष्ट कर दिया गया और उसमें लिखी भाषा का सहूलियत के अनुसार रूपांतरण कर लिया गया।
भाषा

भाषा की बात करें तो इसमें एक ही शब्द के कई अर्थ निकल सकते हैं। हिन्दी को ही लीजिए, सूत्र का अर्थ फॉर्म्यूला भी होता, डोर भी होता है, उसी तरह अर्थ से आप पैसा भी समझ सकते हैं और मतलब भी।
लिंग की संज्ञा
लिंग के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। यहां लिंग को प्रतीक ना मानकर जननांग मान लिया गया। शिवलिंग के विषय में लिंग का अर्थ चिह्न, निशानी, गुण आदि है। जिसका आधार धरती है, शिवलिंग शून्य है, सभी इसी से पैदा होते हैं और इसी में मिल जाएंगे, इसीलिए इसे लिंग की संज्ञा भी दी गई है।
ऊर्जा और पदार्थ
ब्रह्मांड दो चीजों से निर्मित है, ऊर्जा और पदार्थ। उसी तरह मनुष्य शरीर पदार्थ से निर्मित है, जो ऊर्जा से चलता है। इसी कड़ी में शिव को पदार्थ और शक्ति को ऊर्जा माना गया है, इसके प्रतीक को शिवलिंग कहा जाता है।
ब्रह्मांड की आकृति
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