चुनाव मे अगर सभी उम्मीदवारो में से कोई भी पंसद नहीं हो तो आप नोटा का बटन दबा सकते हैं। नोटा का प्रयोग आपको अपनी ओर से सभी पार्टीयों के उमीदवारों को खारीज करने का विकल्प देता है।आपको बताते चलें की सविधान के अनुच्छेद 19-1ए में भी अभिव्यक्ति की आजादी का प्रवधान है। इसीलिए सुप्रीम कोर्ट ने वोटींग मशीनो मे नोटा विकल्प उपलब्ध करवाने का आदेश दिया था। 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने चुनव आयोग को चार राज्यों जे विधान सभा चुनाव में नोट का व्यवस्था करने का आदेस दिया था पिछले लोकसभा चुनाव में विहार से लोगो ने 5,81,011 नोटा का बटन दबाया था। नोटा के मध्यम से बोगस वोटीग पर लगाम लगती हैं।
नोटा से जुड़े तथ्य इस प्रकार हैं-
- नोटा का पहली बार इस्तेमाल 2013 में मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान विधानसभा चुनाव के दौरान हुआ था।
- पहली बार नोटा का इस्तेमाल 1.5 प्रतिशत वोटरों ने किया था।
- पहली बार दिल्ली में 50 हजार, छत्तीसगढ़ में 3.5 लाख, मध्य प्रदेश में 5.9 लाख और राजस्थान में 5.6 लाख लोगों ने यह बटन दबाया था।
- नोटा का फायदा नहीं, क्योंकि अगर अधिक से अधिक लोग भी नोटा दबायेंगे, तब भी बचे हुए वोटों के आधार पर ही विजेता घोषित कर दिया जायेगा।
- भारत के अलावा कोलंबिया, यूक्रेन, ब्राजील, बांग्लादेश, फिनलैंड, स्पेन, स्वीडन, चिली, फ्रांस, बेल्जियम और ग्रीस में नोटा का इस्तेमाल होता है।
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