पुराना फोड़ा है, पस भर गई है, इसको छोड़ोगे तो भी दुखेगा, चीरा लगाए बिना इलाज नामुमकिन है।


बदलाव संसार का नियम है लेकिन ये बदलाव 60 साल बाद आया है।
पीओके में अंदर घुस कर मारे तो, अंदर घुसने का तरीका समझाओ.. 

भोपाल में बाहर निकाल कर मारे तो, बाहर निकलने का तरीका समझाओ.. 

अफजल को बता कर फाँसी पर लटकाने लगे तो, अदालत घेर लो.. 

कसाब को बिना बताए फाँसी लटका दी तो, जेल घेर लो.. 

फिर पहाड़गंज में बम फट जाए तो, पुलिस को नाकारा कहो.. 

होटल ताज पर हमला हो जाए तो, सरकार को नपुंसक कहो.. 

पठानकोट पर हमला हो तो, प्रधानमंत्री की गिरेबान पकड़ लो.. 

उड़ी में वीर सपूत छले जाएँ तो, सेना को अधिकार देने की ज़िद करो.. ...

पुराना फोड़ा है, पस भर गई है, इसको छोड़ोगे तो भी दुखेगा और छुओगे तो भी। 
चीरा लगाए बिना इलाज नामुमकिन है।

डॉक्टर का काम इलाज करना है, बीमार की चीख सुनना नहीं....

 सुबह के भागे आतंकी अगर दोपहर तक ठोंक दिए जाएँ....
तो इसे सिर्फ encounter नहीं कहते... इसे बदलाव कहते हैं! 

बदलाव Attitude में .. बदलाव tolrance में... zero tolerance for terrorism!! 
stand for Forces!! salute jawans!! jay hind..!!

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