सभी लोगों ने फैसला किया की सरकार के युनिफार्म सिवील कोड को नकारा जाय।

इनका कहना है की इस्लामिक कानुन में को छेड़छाड़ हम नही होने देंगे।
इन्हे एक देश एक कानुन नही मानना है। वे इस्लामिक कानुन को ही मानेंगे
आपको एक वाक्या बताता हु
महज 16 साल की उम्र मे अरशिया का विवाह एक अमीर भाजी विक्रेता मोहम्मद काजिम बागवान से होती है केवल 2 साल मे ही बागवान का दिल अरशिया से उब जाता है और कागज 3 बार तलाल तलाक तलाक लिखकर तलाक दे देता है।
अब अरशिया की गोद मे महज 8 महिने का बच्चा है। अब अरशिया क्या करें.
अरशिया ने उस कागज पे पिखे हुुए तलाक को स्विकार नही किया । और कानुन की शरण मे गई है
अरशिया के पिता ने कहा की सरकार को युनिफार्म सिवील कोड को जल्द से जल्द अमल मे लाना चाहीए।
अरशिया ने महिलाओं की भलाई के लिए ट्रीपल तलाक पर बैन लगाने की माँग की है। इस माँग को जल्द से जल्द अमल मे लाने के लिए मोदीजी को चिट्ठी भी लिखा है।
देखे आगे क्या होता है ?
अपने लिए और मुस्लिम महिलाओं के लिेए आवाज बनी अरशिया की जीत होती है या
पहले की तरह ही जीवन जीने पर मजबुर होती है।
सोचने की बात है की ये आवाज आजादी के इतने साल बाद ही क्यों उठी?
है न... सोचने वाली बात
इसे कहते है अभिव्यक्ति की आजादी जो इससे पहले नही थी।
इन महिलाओं को लगता है की मोदी सरकार हमारी बात सुन लेगी जैसे की हम ने पुकारा
और मोदी चले आये, और युनिफार्म सिवील कोड साथ मे लाये।
बरसों से चली आ रही प्रथा को बदलना इतना आसान नही है।
देखिये आगे-आगे होता है क्या?

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